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Thursday, July 10, 2008

वक़्त नहीं


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी
हर
खुशी है लोगों के दामन में
पर एक खुशी के लिए वक़्त नहीं
दिन रात डूबती दुनिया में
जिन्दगी के लिए वक़्त नहीं
माँ की लोरी का अहसास तो है
पर माँ को माँ कहने का वक़्त नहीं
सारे रिश्तो को तो हम मर चुके
अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नहीं
आखों में है नींद बड़ी
पर सोने का वक़्त नहीं
दिल है गमो से भरा हुआ
पर रोने का वक़्त नहीं
फैशन की दुनिया में ऐसे डूबे की
थकने का भी वक़्त नहीं
पराये अहसासों की भी क्या क़द्र करे
जब अपने सपनो के लिए वक़्त नहीं
तू ही बता दे जिंदगी ,इस जिंदगी का क्या होगा
कि हर पल मरने वालो को
जीने के लिए भी वक़्त नहीं ...