हमारे खून में वतन....
हमारे खून में वतन तुम्हारा ही तो रंग है
तुम्हारी धुल से बना हमारा अंग अंग है ||
सों दफा मरके भी हम फिर यही लेंगे जनम
दोर कितने आये तूफान बनकर छाए
मुस्कुराता ही रहा फिर भी हमारा देश
जालिमो ने लुटा तीरों से तलवारों से
खाया हमने धोखा हर बार गदारो से
लेकिन अब नहीं चल पायेगी गदारो की चाल
हमने सारे काट दिए है मक्कारों के जाल ||